Shiv Aarti – Om Jai Shiv Omkara

भगवान शिव, जिन्हें शंकर, भोलेनाथ और महादेव जैसे अनेक प्रेमपूर्ण नामों से पुकारा जाता है, हिन्दू धर्म में परम देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी आराधना और स्तुति विशेष रूप से कुछ पावन अवसरों पर की जाती है।

सोमवार को शिवजी का प्रिय दिन माना जाता है, और इस दिन व्रत, पूजन तथा आरती करके भक्त उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त, हर माह की त्रयोदशी तिथि (प्रदोष व्रत) को भी शिवजी की विशेष पूजा की जाती है।

इनके अलावा दो प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि और श्रावण शिवरात्रि पर भगवान शिव की आरती, रुद्राभिषेक, मंत्र जाप और चालीसा-पाठ से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। इन पावन अवसरों पर शिव भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में जल और बेलपत्र अर्पित करते हैं, और “ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए भगवान को प्रसन्न करते हैं।

Shiv Aarti – Om Jai Shiv Omkara

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

—– Addition —-
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥

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