Hanuman Chalisa Lyrics

जब भी किसी संकट या भय का अनुभव होता है, तो लोग सबसे पहले श्री हनुमान चालीसा का स्मरण करते हैं। यह केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि आत्मबल, शांति और विजय का ऐसा कवच है, जिसे लाखों-करोड़ों लोग रोज़ पढ़ते हैं। इस लेख में हम जानेंगे हनुमान चालीसा क्या है, इसका इतिहास, महत्व, लाभ, और क्यों हर व्यक्ति को इसका पाठ करना चाहिए

हनुमान चालीसा एक 40 छंदों वाला स्तोत्र है, जिसकी रचना महान भक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। “चालीसा” शब्द “चालीस” से आया है, जिसका मतलब है 40 श्लोक। इन श्लोकों में भगवान हनुमान जी के चरित्र, बल, भक्ति और सेवाभाव का बखान किया गया है। यह इतना प्रभावशाली पाठ है कि इसे नियमित रूप से पढ़ने मात्र से जीवन की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।

हनुमान चालीसा की रचना उस समय हुई जब भारत में मुग़ल शासन था और लोगों को भौतिक ही नहीं, मानसिक और आध्यात्मिक संकटों का भी सामना करना पड़ता था। उस कठिन समय में तुलसीदास जी ने हनुमान जी की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह स्तोत्र लिखा। उनका मानना था कि हनुमान जी की कृपा से कोई भी कठिनाई नहीं रहती।

गोस्वामी तुलसीदास, जिन्होंने रामचरितमानस जैसे महाकाव्य की रचना की, उन्हें ही हनुमान चालीसा का रचयिता माना जाता है। यह रचना 16वीं शताब्दी में हुई थी, जब भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था। किंवदंती है कि तुलसीदास जी जब फतेहपुर सीकरी गए, तब उन्होंने दरबार में चमत्कार दिखाने से मना कर दिया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें कैद कर लिया गया।

कैद के दौरान तुलसीदास जी ने हनुमान जी की स्तुति में 40 चौपाइयों की एक चालीसा रच दी। उनका विश्वास था कि अगर वे सच्चे भाव से हनुमान जी का स्मरण करें, तो संकट टल जाएगा।

कहा जाता है कि चालीसा रचने के पश्चात एक चमत्कार हुआ – बंदरों के एक विशाल समूह ने अकबर के किले पर धावा बोल दिया, जिससे पूरे नगर में हाहाकार मच गया। अकबर इस रहस्यमयी घटना से भयभीत हुआ और तुलसीदास जी को तुरंत रिहा करवा दिया।

इस घटना के बाद हनुमान चालीसा को न सिर्फ एक आध्यात्मिक स्तोत्र, बल्कि संकटों से रक्षा करने वाला चमत्कारी कवच माना जाने लगा।

हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन कुछ विशेष समय ऐसे होते हैं जब इसका प्रभाव अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है, क्योंकि ये दोनों दिन हनुमान जी को समर्पित माने जाते हैं।

पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे तक) के बीच हनुमान चालीसा का पाठ करने से इसका आध्यात्मिक प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यह समय वातावरण और मन दोनों को शांत करने के लिए आदर्श माना गया है।

यदि आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर सकते, तो सप्ताह में कम से कम दो बार – मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुरक्षा और आत्मबल बनाए रखने में सहायक होगा।

हनुमान चालीसा

॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥

याद रखें


हनुमान चालीसा केवल एक पाठ नहीं – यह एक संजीवनी मंत्र की तरह कार्य करता है। श्रद्धा और नियमितता से किया गया पाठ निश्चित रूप से जीवन को बदल सकता है।

जय बजरंगबली!